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लेखनी कहानी -30-Apr-2022 सुनो न

#शार्ट स्टोरी लेखन चेलैंज 


जॉनर : हास्य व्यंग्य  

सुनो न 

सुनो ना 

"सुनो ना" ।  सैकड़ो टन चीनी की मिठास घोलते हुए श्रीमती जी ने कहा । वो जब भी बातों में अतिरिक्त मिठास घोलती है, मेरे कान तुरंत खड़े हो जाते हैं । दिल में धुकधुकी सी होने लगती है । क्योंकि उसने जब जब भी मीठी मीठी बातें की थी , या तो मेरी जेब पर कैंची चली थी या फिर हमें रोटियां बेलन पड़ी थीं । आज जब उन्होंने इस तरह प्यार से पुकारा तो हमें अपनी शामत आने का अंदेशा होने लगा । हमारे गुरू ने कहा था कि ऐसे कठिन समय में चुप रहना ही सबसे बड़ा उपाय है । इसलिए मैं जानबूझकर  चुप रहा । 

मेरी तरफ से जब कोई प्रतिक्रिया नहीं आई तो वह बिदक गई और कहने लगी , "सुनो ना । आप मेरी बात कभी नहीं सुनते हो" । अब एक कदम और आगे बढ़ गई  थी वो । अब चुप रहना कष्टों को निमंत्रण देना था, इसलिए हमें बोलना ही पड़ा  
"बहरा नहीं हूं मैं । कहो, क्या कहना है" ? 
"सुनिए न । मैं आज जरा नेल पॉलिश लगा रही हूं तो ऐसा करो, खाना आप बना लेना" । उन्होंने आखिर एटम बम फोड़ ही दिया । हमारे तो होश फाख्ता हो गए   कल ही तो बनाया था खाना । कल देवी जी ने पैरों में महावर लगाई थी इसलिए खाना हमसे ही बनवाया था । आज नेल पॉलिश तो कल कुछ और ? मतलब किसी न किसी बहाने से हमें जोतना ही था उन्हें । आखिर कब तक चलेगा इस तरह ? ऐसे तो मेरी सारी जिंदगी झाड़ू पोंछे में ही निकल जायेगी ? हमने टालने की गरज से कहा 
"ऐसा करते हैं, जोमेटो से मंगवा लेते हैं" ।
"ना जी ना, जोमेटो वाले तो रास्ते में ही खाना चुराकर खा लेते हैं और सारा खाना झूठा कर देते हैं । हमें नहीं खाना ऐसा झूठा खाना । आप तो खाना बहुत बढिया बनाते हैं, तो आपके हाथों का बना खाना ही खाऐंगे हम तो आज, हां । तो बना दीजिए ना" । उन्होंने ये जिस अंदाज में कहा उसे हम समझ नहीं पाये कि वे हमारी तारीफ कर रही हैं या ताने मार रहीं हैं , इसलिए  पूछा 
"आपको कैसे पता कि मैं खाना बहुत बढिया बनाता हूं" ? 
"रिलैक्स  बेबी रिलैक्स । मुझे कैसे पता लगा ? अरे वो आपकी छमिया भाभी है ना, वो ही बता रही थीं" । उनकी मंद मंद मुस्कान ने आग में घी का काम किया । 

हमें अब छमिया भाभी पर जोरों से गुस्सा आने लगा । माना कि उनके कहने पर ही हमने उनके घर जाकर खाना बनाया था । उनको कसम भी देकर आये थे कि किसी को बताना मत, हमारी इज्जत  का सवाल है । मगर हम भूल गये थे कि औरतों के पेट में बात पचती कहां है ? उन्होंने हमारी इज्जत खाक में मिला दी थी । अब तक तो पूरे मौहल्ले में यह बात फैल चुकी होगी । लेकिन अब क्या हो सकता है ? 

हमने आखिरी हथियार आजमाते हुए कहा "आज तबीयत कुछ नासाज सी लग रही है" । जब सारे हथियार फेल हो जायें तो यह अचूक अस्त्र काम कर जाता है । बड़े बड़े नेता, अफसर जब जेल जाते हैं तो जेल जाते ही वे बीमार पड़ जाते हैं । कोर्ट भी बहुत दयालु होते हैं, उन्हें फाइव स्टार हाॅस्पीटल में ऐश करने की छूट दे देते हैं और वे सारी सजा ऐश करते हुए ही निकाल देते हैं । हमें इस नुस्खे पर बड़ा नाज था मगर इन पत्नियों के पास हर बात का तोड़ होता है । मेरी बात सुनकर कहने लगी "ठीक  है । आपकी तबीयत खराब है तो आप आज सोफे पर सो जाना" । 

ये तो आफत हो गई हमारे लिये । हमारा ही बहाना हम पर ही भारी पड़ गया । अब आप ही बताऐं कि हम करें तो क्या करें ? फिलहाल तो रसोई जा रहे हैं । कुछ आईडिया आ जाये तो बता देना दोस्तो , अब तुम्हारा ही सहारा है  ।
😃😃😃


हरिशंकर गोयल "हरि"
30.4.22 

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4 Comments

Gunjan Kamal

30-Apr-2022 11:24 AM

शानदार

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Hari Shanker Goyal "Hari"

30-Apr-2022 04:26 PM

धन्यवाद मैम

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Zainab Irfan

30-Apr-2022 09:51 AM

😄😄

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Hari Shanker Goyal "Hari"

30-Apr-2022 04:25 PM

धन्यवाद जी

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